केंद्र सरकार का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया है।
भारतीय सँविधान लागू होने के बाद देश में पहली बार जातीय हिंसा का ऐसा भयानक ताँडव मणिपुर में नजर आ रहा है। भारत में अब तक हिन्दू और मुसलमान के बीच दँगो की गूँज सुनाई देती थी लेकिन पहली बार इस देश में आदिवासी और हिन्दुओं के बीच खतरनाक तरीक़े से जातीय हिंसा ने सारी सीमाओं को लाँघ दिया है।
भारत में पहली बार तीन माह से भी अधिक तक जातीय दँगो को यह देश देख व झेल रहा है, जहाँ पर आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर सडकों पर ना सिर्फ घुमाया जा रहा है बल्कि सामुहिक बलात्कार भी हो रहा है।मणिपुर में जो हुआ और हो रहा है ऐसा देश के किसी भी राज्य में आज तक नहीं हुआ है, लेकिन प्रधानमंत्री समेत पूरी भाजपा राजस्थान और छत्तीसगढ़ का नाम ले लेकर चिल्ला रहे है।मणिपुर की तुलना छत्तीसगढ़ व राजस्थान से कर रहे हैं। *प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर का *"म"* *बोलने मे 79 दिन लग गये और *56* इँच के सीने से मणिपुर पर बोलने हेतु मात्र *36* सेकँड की आवाज निकल पाई। जो नेता जनता से *वोट माँगने* के लिए पूरा दिन बोलता है लेकिन जनता के दुख दर्द में *एक मिनट* भी नहीं बोल सकता, क्या उसे हम भारत का नेता मान सकते है???
जिस नेता ने 2014 मे देश की जनता को आव्हान कर कहा था कि, मनमोहन सिंह सरकार को जनता को जवाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए??आज वही नेता *नरेन्द्र भाई मोदीजी* किसी भी सवाल का जवाब जनता को *सडक से सँसद* तक नहीं दे रहे हैं। *मणिपुर की तुलना छत्तीसगढ़ व राजस्थान से कर रहे हैं*।मेरी दृष्टि में ऐसा करना *भारतीय जनता पार्टी* के *मानसिक रुप से दिवालिया होने का प्रतीक है*।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी छत्तीसगढ़।
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